
● महिला अधिवक्ता को जातिसूचक गालियां, अश्लील प्रस्ताव और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी
● थानाध्यक्ष पर महिला अधिवक्ता को अश्लील प्रस्ताव देने का आरोप
● सीपी गाजियाबाद अजय मिश्रा पर जातिसूचक गालियां देने और धक्का देकर बाहर निकालने का आरोप
● डीसीपी और एसीपी पर जांच में हेरफेर, सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने और गवाहों को धमकाने का आरोप
गाजियाबाद। एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां महिला अधिवक्ता उमंग खरखोदिया ने सीपी गाजियाबाद अजय मिश्रा, डीसीपी सिटी राजेश कुमार सिंह, एसीपी पूनम मिश्रा और अन्य पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता के अनुसार, थानाध्यक्ष नंदग्राम धर्मपाल सिंह ने एफआईआर दर्ज कराने आई महिला अधिवक्ता को अश्लील प्रस्ताव देते हुए कहा कि “एक रात मेरे साथ बिताओ, तुम्हारा काम हो जाएगा।” विरोध करने पर मामले की जांच को दबाने के लिए सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दी गई और जीडी में झूठी एंट्री कर जांच बंद कर दी गई। जब पीड़िता ने वरिष्ठ अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग की, तो उसे लगातार धमकियां मिलती रहीं। 10 मार्च 2025 को जब पीड़िता सीपी गाजियाबाद अजय मिश्रा से मिलने गई, तो उन्होंने न केवल “डेढ़ भंगी चमार चम्मटी” जैसी जातिसूचक गालियां दीं, बल्कि जान से मारने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी। महिला अधिवक्ता का दावा है कि सीपी गाजियाबाद ने अपने पुलिसकर्मियों से उसे धक्का देकर बाहर निकलवाया और फोन नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया।पीड़िता ने इस घटना का वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग और अन्य सबूत डीजीपी लखनऊ, डीएम गाजियाबाद और प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भेजे हैं। महिला अधिवक्ता के अनुसार,मार्च 2025 को डीसीपी गाजियाबाद ने पीड़िता को धमकी दी कि तुमने कमिश्नर के खिलाफ शिकायत करके बड़ी गलती की है। अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो।पीड़िता ने जब पुलिस अत्याचार की शिकायत करने माननीय मंत्री असीम अरुण जी से मिलने की कोशिश की, तो पुलिसकर्मियों ने उसे जबरन रोकने और झूठे मुकदमे में फंसाने की कोशिश की। महिला अधिवक्ता का कहना है कि उसका नंबर ट्रेस पर लगा दिया गया है, और कभी भी उसे फर्जी केस में फंसाकर जेल में जान से मारने की साजिश रची जा सकती है।नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट (NCSC) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी लखनऊ और डीएम गाजियाबाद को 7 दिनों के भीतर जवाब देने का नोटिस जारी किया है।