

गाजियाबाद। साइबर अपराधों पर शिकंजा कसते हुए गाजियाबाद साइबर क्राइम सेल ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के सदस्य को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान बाबू अली (38) निवासी मुरादाबाद के रूप में हुई है, जो एम ए और पीएचडी डिग्री धारक है। उसे विजयनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया।पुलिस ने आरोपी के पास से साइबर ठगी में इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन भी बरामद किया है। शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का खेल पुलिस के मुताबिक, 3 जून 2024 को अरुण मेहता नामक व्यक्ति के साथ शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी की गई। उन्हें AVIVAINVESTOR SM6 नाम के व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, फिर AVIVAFTSE नाम के फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप का लिंक भेजा गया।झांसे में आकर अरुण मेहता ने 7 लाख 96 हजार रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। जब रिटर्न नहीं मिला, तो उन्हें एहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं।शिकायत के बाद साइबर क्राइम थाना में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू हुई। गिरोह का पूरा नेटवर्क बेनकाब पूछताछ में बाबू अली ने सनसनीखेज खुलासा किया। उसने बताया कि यह एक संगठित गिरोह है, जो लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ता है। फिर फर्जी लिंक भेजकर उन्हें शेयर ट्रेडिंग में निवेश के लिए फुसलाया जाता है।गिरोह के मुख्य सदस्य इकबाल चौधरी (दिल्ली), अखिलेश (आरा, बिहार) और आफताब आलम उर्फ अरशद (मधुबनी, बिहार) हैं। ये आरोपी विदेशों में बैठे ठगों को बैंक अकाउंट मुहैया कराते हैं और बदले में कमीशन लेते हैं।बाबू अली के बैंक खाते में 2.10 करोड़ रुपये की ठगी का पैसा ट्रांसफर हुआ था। उसे 30 लाख रुपये कमीशन मिलना था, लेकिन अब तक उसे सिर्फ 35 हजार रुपये ही मिले थे। 14 राज्यों में 28 वारदात, 8 करोड़ रुपये की ठगी का खुलासा साइबर क्राइम सेल की जांच में सामने आया कि इस गिरोह ने 14 राज्यों के 28 जिलों में ठगी को अंजाम दिया है। कुल ठगी की रकम करीब 8 करोड़ रुपये आंकी गई है।इस दौरान आंध्रप्रदेश से दो घटनाएं, असम से एक घटना, बिहार से एक घटना, दिल्ली से एक घटना, गुजरात से एक घटना,हरियाणा से दो घटनाएं, झारखंड से दो घटनाएं, कर्नाटक से 6 घटनाएं, केरल से एक घटना, मध्यप्रदेश से एक घटना, महाराष्ट्र से तीन घटनाएं, राजस्थान से एक घटना,तमिलनाडु से एक घटना, तेलंगाना से 3 तीन और उत्तर प्रदेश से एक घटना सामने आई है। विदेशी कनेक्शन और बांग्लादेश से लिंक जांच में सामने आया कि ठगी के लिए इस्तेमाल किया गया फर्जी ऐप “AVIVAFTSE” बांग्लादेश से बनाया गया था। गूगल ने इस ऐप को अब बैन कर दिया है। पुलिस अब गिरोह के विदेशी कनेक्शन की कड़ियों को जोड़ने में लगी है। एडीसीपी क्राइम, पीयूष कुमार ने बताया, यह एक हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी रैकेट है, जिसका नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है। आरोपी से पूछताछ जारी है, बाकी सदस्यों की धरपकड़ के लिए टीम लगातार दबिश दे रही है। जल्द ही इस गैंग का सफाया किया जाएगा।