देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गुलावठी में प्रोफेसर डॉक्टर रविकांत ने पॉलीमर और उसके महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किया



गुलावठी – देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गुलावठी बुलंदशहर के रसायन विभाग में एकदिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत राजकीय परास्नातक महाविद्यालय नोएडा के रसायन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रविकांत ने पॉलीमर और उसके महत्व अपने विचार प्रस्तुत किए उन्होंने कहा कि एक विशालकाय योगी हे जो छोटे योग के द्वारा बनाए जाते हैं पॉलीमर प्रकृति और लैबोरेटरी द्वारा बनाए जाते हैं पॉलीमर को सीधा श्रृंखला और शाखा श्रृंखला में वर्गीकृत किया जाता है जिसके अपने विशिष्ट गुण दोष हैं और इन गुना के आधार पर उपयोग किया जाता है इस अवसर पर रसायन विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर विनय कुमार सिंह ने कहां की प्रकृति के द्वारा बनाए गए पॉलीमर 5 से 10 वर्षो मे प्रकृति के द्वारा ही नष्ट हो जाते हैं परंतु मनुष्य द्वारा प्रयोगशाला द्वारा बनाए गए पॉलीमर नष्ट होने में सैकड़ो  को साल लग जाते हैं जिससे पर्यावरण को बहुत क्षति पहुंचती है आत:ऐसे पॉलीमर बनाने की आवश्यकता है जो कम समय में नष्ट हो जाए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनीता ने अपने अपने संबोधन में पॉलीमर के विभिन्न उदाहरण जैसे बैकलाइट, पॉलिथीन, बुलेट प्रूफ जैकेट, रबर के बनाने की विधि और उनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला इस अवसर पर  डॉक्टर महेंद्र कुमार, भवनीत सिंह बत्रा, भूपेंद्र कुमार और कुलदीप उपस्थित रहे देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गुलावठी, बुलंदशहर के रसायन विज्ञान विभाग में एकदिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत राजकीय परास्नातक महाविद्यालय, नोएडा के रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रविकांत ने पॉलीमर और उसके महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि पॉलीमर एक विशालकाय यौगिक है जो छोटे यौगिक के द्वारा बनाए जाते है। पॉलीमर प्रकृति और लैबोरेटरी (प्रयोगशालाओं) द्वारा बनाए जाते है। पॉलीमर को  सीधी श्रृंखला और शाखा श्रृंखला में वर्गीकृत किया जा सकता है। जिनके अपने  विशिष्ट गुण, दोष है, और इन्हीं गुण दोष के आधार पर  इनका उपयोग किया जाता है। इस अवसर पर रसायन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार सिंह ने कहा की प्रकृति के द्वारा बनाए गए पॉलीमर पाँच से दस वर्ष में प्रकृति के द्वारा ही नष्ट हो जाते हैं। परंतु मनुष्य द्वारा प्रयोगशाला द्वारा बनाए गए पॉलीमर को नष्ट होने में सैकड़ो साल लग जाते हैं। जिससे पर्यावरण को बहुत क्षति पहुंचती है। अतः ऐसे पॉलीमर बनाने की आवश्यकता है जो कम समय में नष्ट हो जाएं। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनीता ने अपने संबोधन में पॉलीमर के विभिन्न उदाहरण जैसे बैकलाइट, पालीथीन, बुलेट प्रूफ जैकेट, रबर के बनाने की विधि और इनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉ महेंद्र कुमार,  भवनीत सिंह बत्रा , भूपेंद्र कुमार, और कुलदीप उपस्थित रहे।

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