वी ने महाकुंभ में बिछड़े तीर्थयात्रियों को मिलाने के लिए लाॅन्च की नंबर रक्षक पहल

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मेरठ। हर बार महाकुंभ मेले में हज़ारों तीर्थयात्री अपने परिवारजनों से बिछड़ जाते हैं। 2013 में अलाहाबाद (अब प्रयागराज) कुंभ में तकरीबन 70000 लोग अपनों से बिछड़ गए। इस साल भी ऐसवी ही चुनौतियां सामने आ रही हैं, पहले दिन पहले कुछ ही घण्टों में 250 से अधिक लोगों के खो जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई। उम्मीद है किक आने वाले दिनों में फरवरी माह में त्रिवेणी संगम पर ‘शनि स्नान’ के पावन दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। ऐसे में अपने प्रियजनों को खोने का डर श्रद्धालुओं के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत के अग्रणी दूरसंचार सेवा प्रदाता वी लेकर आए हैं ‘वी नंबर रक्षक’ पहल जो सुनिश्चित करेगी कि कोई भी प्रियजन एक दूसरे से न बिछड़े। इस अवसर पर अवनीश खोसला (चीफ़ मार्केटिंग आॅफिसर) ने कहा, ‘‘वी नंबर रूद्राक्ष दर्शाता है कि किस तरह सरल से समाधान लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम सिर्फ दूरसंचार सेवा प्रदाता नहीं बल्कि लोगों के लिए पार्टनर की भूमिका निभाते हैं। यह पहल लोगों को उचित समाधान उपलब्ध कराने तथा नेटवर्क न होने पर भी कनेक्टेड बनाए रखने की वी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।’ आज के दौर में टेक्नोलाॅजी ने लोगों को कनेक्टेड बनाए रखने का तरीका पूरी तरह से बदल डाला है, हालांकि आज भी बहुत से लोग डिजिटली सक्षम नहीं हैं, विशेष रूप से बुजु़र्ग और छोटे बच्चे। अक्सर इनके पास मोबाइल फोन नहीं होता और उन्हें अपने परिवार के फोन नंबर याद नहीं रहते, वे डिजिटल टूल्स के बारे में जागरुक नहीं होते। इसी को ध्यान में रखते हुए वी ने स्वामी रामानंद आचार्य शिबिर अखाड़ा की लोकेशन में वी नंबर रक्षक बूथ स्थापित किया है। यह बूथ श्रद्धालुओं को रूद्राक्ष और तुलसी के मोतियों से बने काॅम्पलीमेंटरी ब्रेसलेट देगा, जिस पर उनके परिवारजनों या साथियों का पर्सनल एमरजेन्सी काॅन्टेक्ट नंबर होगा। इस तरहश्रद्धालुओं के लिए मोबाइल फोन या इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने पर भी अपने परिवारजनों से फिर से मिलना आसान हो जाएगा। वी नंबर रूद्राक्ष वी की पहल ‘बनो किसी के हम’ के तहत लाई गई है।

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