
बुलंदशहर- प्रयागराज में 144 वर्षों के बाद श्रवण नक्षत्र में महाकुंभ का विराट स्वरूप, भव्य एवं दिव्य आयोजन पुरातन सनातन के परम वैभव, सुख समृद्धि, समग्रता, विशालता, समग्र मानवता को आत्मसात करते हुए सनातन संस्कृति के अनादि, अनंत स्वरूप को परिलक्षित, संकल्प सिद्धि का पवित्र पर्व है। वास्तव में हमारी नदियों से महाकुंभ का अस्तित्व है। नदियों को संभालना हम सब का परम् कर्तव्य ही नहीं बल्कि सर्वप्रथम जिम्मेदारी भी है। तीर्थराज प्रयाग की पावन धरा पर महाकुंभ के शुरुआती पहले दो अमृत स्नानों में लगभग 5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर गंगा जल के दिव्य गुणों एवं मां गंगा के प्रति श्रद्धा, आस्था, प्रेम, भक्ति की अनुपम, अद्भुत उपस्थिति दर्ज कराई है। इस अनेकता में एकता, आस्था, समरसता, साधना, श्रृद्धा, भक्ति, उपासना, संस्कृति, समता के अलौकिक सनातन पर्व महाकुंभ में उपस्थित सभी पूज्यनीय साधु- संतों, ऋषि- मुनियों, भक्तों- श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और शुभचिंतकों को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। मां गंगा आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें और आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा, उत्साह भरें। इन्हीं शुभकामना सहित जय सनातन धर्म! जय महाकुंभ पर्व!!
रविन्द्र कुमार राणा एक प्रकृति प्रेमी हैं और गंगा समग्र के प्रान्त नदी प्रमुख हैं