धर्म गुरुओं ने व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्रीय चरित्र मे फर्क समझाया होता तो आतंकवाद न पनपता- कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी




गाजियाबाद। –  कल्किधाम में रविवार को आचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा ‘’संभल और सनातन’’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में अनेकों अनेकों साधु, संतों, बुद्धिजीवियों, गौरव सेनानियों, महिलाओं, जनप्रतिनिधियो और हजारों की तादाद में स्थानीय लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने वर्तमान में धर्मगुरुओं की कार्यशैली को लेकर कहा कि हमारे माता पिता, शिक्षकों और धर्म गुरुओ ने बार बार बताया कि करुणा, दया, प्रेम, अतिथि सत्कार, क्षमा, याचना,  सहनशीलता ही मनुष्य का चरित्र निर्धारित करते हैं। हमें अपने परिवार और समाज के प्रति शत प्रतिशत सहनशीलता का अनुसरण करना चाहिए। सहनशीलता व्यक्तिगत चरित्र का हिस्सा है लेकिन राष्ट्रीय चरित्र का हिस्सा नहीं है। जब जनहित या राष्ट्र हित का सवाल हो तो सहनशीलता शून्य होनी चाहिए। कर्नल त्यागी ने कहा कि संभल पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। पृथ्वी राज चौहान ने यदि सहनशीलता न दिखाकर मौहम्मद गौरी को पहले ही युद्ध में मार दिया होता तो आज हिन्दुस्तान का इतिहास अलग होता। ये बात धर्म गुरुओ ने नही बताई। धर्म गुरुओ द्वारा लोगों को इस बात का फर्क न समझाने के कारण देश को एक बैठी हुई बत्तख समझने लगे जिसने जब चाहा शिकार कर लिया। यह पद्धति अब बदलनी चाहिए। दुनिया वाले चाहे जो कहें हमे अपने राष्ट्र हित के लिए शून्य सहनशीलता का प्रदर्शन करना चाहिए। इस अवसर पर साधु संत, एड. अश्विनी उपाध्याय, स्वामी सम्पूर्णानन्द आदि सहित हजारों लोग उपस्थित रहे। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सहनशीलता दिखाना उचित नहीं।

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