मुरादाबाद : किडनी फेल हो जाना जीवन का अंत नहीं है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली (गाजियाबाद) में ये संभव हुआ है जहां दो मामलों में सफल किडनी ट्रांसप्लांटेशन कर मरीजों की जिंदगी बचाई गई है. मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के डॉक्टरों ने किडनी से जुड़े इस डर को दूर करने का काम किया. मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में किडनी ट्रांसप्लांट विभाग की प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर मनीषा दस्सी दोनों मरीजों और उन्हें किडनी देने वाले डोनर के साथ उपस्थित हुईं और लोगों को किडनी से जुड़ी समस्याओं व इलाज के बारे में जागरूक किया.
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में किडनी ट्रांसप्लांट की प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर मनीषा दस्सी ने इन मामलों की जानकारी देते हुए बताया, ”मुरादाबाद के 36 वर्षीय मरीज धर्मेंद्र सिंह एडवांस किडनी फेल की शिकायत के साथ मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली आए थे. एक हफ्ते में तीन बार हीमोडायलिसिस के बावजूद वो सांस की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे, उनका हीमोग्लोबिन लो था, हड्डियों और मसल्स में दर्द था. उनकी हालत को देखते हुए किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प नजर आ रहा था और धर्मेंद्र की पत्नी अपनी किडनी डोनेट करने के लिए राजी हो गईं. अच्छी तरह से मूल्यांकन के बाद मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया और किडनी सही रूप में काम करने लगी, डायलिसिस की जरूरत भी खत्म हो गई. मरीज का हीमोग्लोबिन लेवल भी सुधरने लगा, हड्डियों व मसल्स का दर्द खत्म हो गया. फिलहाल वो असिम्प्टोमटिक मरीज के रूप में एक बेहतर जिंदगी की तरफ बढ़ रहे हैं और उनका सीरम क्रिएटिनिन लेवल 1.3 एमजी/डीएल है.”
डॉक्टर मनीषा ने दूसरे केस के बारे में भी जानकारी दी. 32 वर्षीय मरीज मोहित सिंह को कमजोरी, भूख ठीक से न लगना, चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी, ठीक से पेशाब न होना, सूजन और सांस में कठिनाई जैसी अलग-अलग समस्याएं थीं. मोहित को क्रोनिक किडनी डिजीज डायग्नोज हुआ और किडनी फेल एडवांस स्टेज का था. डायलिसिस कैथेटर के जरिए उनका हीमोडायलिसिस भी चल रहा था. मोहित की मां को एडवांस स्टेज की डायबिटीज थी, लिहाजा वो डोनेट करने में सक्षम नहीं हो पाईं और मोहित की पत्नी ने हिम्मत दिखाते हुए अपने पति के लिए किडनी डोनेट करने का फैसला किया. सर्जरी के बाद डोनर और मरीज दोनों ने बहुत अच्छे तरीके से रिकवरी की. अभी मोहित सिंह की किडनी सीरम क्रिएटिनिन 1.0 एमजी/डीएल के साथ नॉर्मल फंक्शन कर रही है.
इन दो मरीजों की सफलता को बताते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में किडनी ट्रांसप्लांट की प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर मनीषा दस्सी ने किडनी ट्रांसप्लांटेशन को एक बड़ी उम्मीद के रूप में पेश किया. उन्होंने कहा, ”ये केस इस बात के गवाह हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट कैसे मरीजों की जिंदगी बदल रहा है. जो लोग एंड स्टेज के किडनी फेल का सामना कर रहे हैं, ऐसे लोगों के लिए किडनी ट्रांसप्लांटेशन के जरिए उम्मीद की नई किरण पैदा हो रही है.”
दो मरीजों की सक्सेस स्टोरी मेडिकल फील्ड और किडनी ट्रांसप्लांटेशन तकनीक में हुई प्रगति को भी दर्शाती है. एंड स्टेज किडनी फेल अब जिंदगी का अंत नहीं रह गई है, हालांकि इस गंभीर स्थिति से निकलने के लिए सही डॉक्टर व अस्पताल के साथ एक डोनर की भूमिका भी बेहद अहम है.