नोएडा। यूपी में बनने जा रही विश्वस्तरीय फिल्म सिटी के लिए डवलपर कंपनी को पहले फिल्म निर्माण की सुविधाएं विकसित करनी होंगी। इसके बाद ही मनोरंजन पार्क, होटल, शॉपिंग मॉल आदि बनाने की अनुमति होगी। यही नहीं कंपनी को 1000 एकड़ की जमीन पर फिल्म सिटी का निर्माण हाईब्रिड मॉडल पर करना होगा।
इसके तहत कंपनी को प्राधिकरण जमीन लीज पर 90 साल के लिए देगा। इसके बदले निर्माण कंपनी यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को वार्षिक प्रीमियम या आमदनी में हिस्सेदारी के रूप में बड़ी धनराशि देगी। फिल्म सिटी में सारा निर्माण कंपनी को ही करना होगा। सरकार को कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। फिल्म निर्माता, फिल्म निर्माण कंपनियां सीधे डवलपर कंपनी से स्टूडियो बनाने के लिए जमीन लेगी। स्टूडियो में शूटिंग भी किराए पर लिए जा सकेंगे। इसमें प्राधिकरण का दखल नहीं होगा। प्राधिकरण ने यूपी सरकार को इसी मॉडल को अपनाने की संस्तुति भेज दी है।
इस संबंध में प्राधिकरण के सीईओ अरुणवीर सिंह ने अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि सलाहकार संस्था सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार डीपीआर में तीन वित्तीय मॉडल सुझाए गए थे। प्राधिकरण ने इनमें हाईब्रिड मॉडल उपयुक्त पाया है। अरुणवीर सिंह ने बताया कि शासन से मंजूर होने के बाद कंपनियों से टेंडर मांगे जाएंगे। इसके लिए जल्द आरएफपी व आरफक्यू तैयार किए जाएंगे। बुधवार को इस संबंध में औद्योगिक विकास आयुक्त के समक्ष बैठक में इस पर सहमति ली जाएगी। इंटरनेश्नल फिल्म सिटी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
पहले चरण में यह फिल्म निर्माण सुविधाएं विकसित होंगी
– फिल्म स्टूडियो 37 एकड़
-शूटिंग स्थल 278 एकड़
– अन्य सुविधाएं 334.6 एकड़
सहायक भवन 278 एकड़ में