नई दिल्ली। घर का सपना दिखाकर सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये की धोखधड़ी करने के आरोपी रियल एस्टेट कंपनी के दो निदेशकों को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। निवेशकों को कथित तौर पर दिल्ली-एनसीआर में फ्लैट देने का लुभावना सपना दिखाया गया था।
तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ की अदालत ने आरोपी सुशांत मुटरेजा और निशांत मुटरेजा की जमानत याचिका खारिज कर दिया। साथ ही, कहा कि अगर इस तरह के अपराध को हल्के में लिया जाएगा तो आम आदमी का भरोसा न्यायिक व्यवस्था से उठ जाएगा। अदालत ने कहा कि यदि राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले कथित आर्थिक अपराधियों को दंडित नहीं किया जाएगा तो पूरा समुदाय व्यथित होगा। भारत में ऐसे हजारों घोटाले हुए हैं जिससे भारत की अर्थव्यवस्था संकट में आई है। इसलिए इस तरह के अपराधों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पाया कि इस घोटाले के 893 पीड़ित हैं और करीब 126 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। पुलिस के अनुसार, लोगों को फ्लैट देने के नाम पर निवेश कराया गया। हालांक, बाद में पता चला की इस तरह की कोई योजना नहीं है।
अदालत ने कहा कि वर्ष 2017 में आरोपी सुशांत को जमानत दी गई थी ताकि वह अपनी परियोजना को शुरू कर सके, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहा। इसके चलते उसकी जमानत को रद्द कर दिया गया। अदालत ने कहा कि ऐसा होता नजर नहीं आ रहा कि निवेशकों का पैसा वापस मिल सके और इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वह फरार हो जाएं। इस मामले में कई पीड़ितों ने वर्ष 2016 में दिल्ली पुलिस में शिकायत दी थी। पुलिस के मुताबिक, आरोपी कंपनी और उसके निदेशकों ने फ्लैट बिक्री के नाम पर 893 निवेशकों से मोटी रकम जमा कराई, लेकिन समय पर फ्लैट उपलब्ध नहीं कराए गए। हालांकि, बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि उनके मुवक्किल अपनी परियोजना पूरी करना चाहते हैं।