
मेरठ। भावनपुर क्षेत्र में स्थित एक देसी शराब के ठेके पर उस वक्त हड़कंप मच गया जब आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और कांस्टेबल ने ओवर रेटिंग की शिकायत पर सिविल ड्रेस में छापा मारा। छापे के दौरान ठेके से शराब खरीदी गई, जिसमें तय मूल्य से अधिक पैसा वसूला गया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी तैयार किया गया।
जैसे ही आबकारी इंस्पेक्टर ने अपनी पहचान ठेका संचालक को बताई, स्थिति अचानक तनावपूर्ण हो गई। आरोप है कि ठेका संचालक ने इंस्पेक्टर को ठेके के अंदर बंद कर अपने साथियों के साथ उनकी पिटाई की और जान से मारने की धमकी दी। यह न केवल सरकारी कार्य में बाधा है, बल्कि एक गंभीर आपराधिक कृत्य भी है।
घटना के तुरंत बाद आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर ने थाना भावनपुर पुलिस को पूरी जानकारी दी और ठेका संचालक पर कार्रवाई की मांग की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पुलिस ने मामले को अनदेखा कर दिया और कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।
हालांकि, आबकारी विभाग ने अपने स्तर पर ओवर रेटिंग को लेकर कार्रवाई जरूर की, लेकिन इंस्पेक्टर के साथ हुई मारपीट और धमकी की घटना पर अब तक कोई कानूनी कदम नहीं उठाया गया है।
आबकारी विभाग के कांस्टेबल ने मेरठ के कप्तान ऑफिस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी पूरे घटनाक्रम की सूचना दी है, लेकिन उन्हें अभी तक किसी प्रकार का ठोस आश्वासन नहीं मिला है। विभागीय अधिकारी इस मामले में न्याय की उम्मीद में भटक रहे हैं, जबकि आरोपित खुलेआम घूम रहे हैं।
यह घटना न केवल एक विभागीय अधिकारी के सम्मान और सुरक्षा पर हमला है, बल्कि पूरे सिस्टम की निष्क्रियता पर सवाल खड़े करती है। जब पुलिस खुद एक सरकारी विभाग के अधिकारी की मदद नहीं करती, तो आम जनता के लिए न्याय की उम्मीद करना कितना मुश्किल है, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या पुलिस प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा या यह भी एक फाइलों में दबा मामला बनकर रह जाएगा? फिलहाल, आबकारी विभाग का अधिकारी निराश और आहत महसूस कर रहा है।