भागलपुर। जिले में बकरी पालन को लेकर लोगों में रूझान बढ़ता जा रहा है। विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में किसान छोटे स्तर पर बकरी पालन कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं।
बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण लेने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। उल्लेखनीय है कि पांच दिवसीय प्रशिक्षण करने वालों को सरकार बकरी पालन के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। एससी-एसटी को 60 प्रतिशत अनुदान मिलना है।
दस से लेकर सौ बकरी का पालन लोग कर सकते हैं। बकरी पालन के लिए सरकार की ओर से दस लाख रुपये तक अनुदान दिया जा रहा है। एसस-एसटी को 12 लाख रुपये तक का अनुदान मिलता है। किसानों को न्यूनतम दस बकरी व एक बकरा का पालन करना होगा। इसके लिए एक लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है। 20 बकरी व दो बकरा के लिए दो लाख, 40 बकरी व दो बकरा के लिए चार लाख और 100 बकरी व पांच बकरा के लिए दस लाख रुपये का अनुदान मिलता हहै बकरी पालन को लेकर अनुदान लेने वाले किसानों को कम से कम पांच वर्षों तक फार्म चलाना होगा।
बकरी पालन के लिए किसानों को शेड का भी निर्माण कराना होगा। इसके बाद बकरी खरीद कर पालन शुरू करना होगा। पशुपालन विभाग की टीम हर महीने फार्म पर जाएगी। बकरी और बकरे का दवा व वैक्सीन समय पर उपलब्ध कराएगी।
बीमार बकरी का इलाज करेगी। फार्म चल रही है या नहीं इसकी मॉनीटरिंग करेगी। पांच वर्षों तक यदि फार्म नहीं चला तो ब्याज सहित राशि की वसूली होगी। साथ ही मामला भी दर्ज होगा। गिरफ्तारी भी होगी। बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य है। कम से कम पांच दिनों के प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र आवश्यक है। आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह बताते हैं कि कि बकरी पालन को लेकर लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण का कार्यक्रम के दिन होता रहता है। बकरी पालन विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी यहां की आवोहवा के लिए बेहतर है। यह बकरी साल में दो बार तीन-तीन बच्चे देती है। इसको पालने में खपत भी कम है। मांस स्वादिष्ट व उच्च कोटि का होता है। इसका चमड़ा भी महंगा बिकता है। ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी कम खर्च में किसानों को अच्छा फायदा दिलाती है।