
उत्तर प्रदेश – विद्युत विभाग के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों ने जोरदार आंदोलन की शुरुआत कर दी है। आज प्रदेश के सभी जनपदों में विशाल बाइक रैली निकालकर संघर्ष समिति ने विरोध प्रदर्शन किया। मेरठ में भी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में निजीकरण के खिलाफ अनुशासित रूप से रैली निकाली गई। रैली में कर्मियों ने बैनर और स्टीकर लगाकर अपनी मांगें और नाराजगी जाहिर की। बिजली कर्मियों ने चेतावनी दी है कि आंदोलन के अगले चरण में 2 मई से राजधानी लखनऊ स्थित शक्ति भवन मुख्यालय पर सात दिवसीय क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा। इस दौरान प्रदेश के कई जनप्रतिनिधियों, सांसदों और विधायकों को ज्ञापन भी सौंपे गए हैं। संघर्ष समिति की प्रमुख मांग है कि संविदा कर्मियों को हटाने का आदेश तत्काल वापस लिया जाए। समिति ने इसे अमानवीय बताते हुए कहा कि इनमें से कई कर्मी विकलांग हो चुके हैं और अल्प वेतन पर कार्य कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की भी मांग की गई है। संघर्ष समिति मेरठ के पदाधिकारियों – इं. सी.पी. सिंह, इं. निखिल नायक, इं. निशान्त त्यागी, कपिल देव गौतम, दीपक कश्यप, प्रदीप डोगरा सहित अन्य ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन, संघर्ष समिति से वार्ता के बजाय विवादास्पद कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन से बातचीत कर रहा है। यह 2018 और 2020 में हुए समझौतों का उल्लंघन है, जिनमें स्पष्ट कहा गया था कि बिना कर्मियों की सहमति के निजीकरण नहीं किया जाएगा। मेरठ में निकली बाइक रैली विद्युत निगम मुख्यालय से शुरू होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई पुनः निगम कार्यालय पर समाप्त हुई। रैली में जेई संगठन और संघर्ष समिति के कई पदाधिकारी शामिल रहे। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने तत्काल प्रभाव से संविदा कर्मियों को हटाने का आदेश वापस नहीं लिया और निजीकरण पर पुनर्विचार नहीं किया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।