“57 दावेदार, 1 कुर्सी और बढ़ती गुटबाजी: भाजपा जिलाध्यक्ष पद बना शीर्ष नेतृत्व का सिरदर्द!”


हापुड़— जिले में पिछले करीब एक माह से जिलाध्यक्ष घोषणा को लेकर तरह-तरह की चुनौतियों से जुझ रहा प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व स्थानीय नेता लगा रहे तरह—तरह के प्रयास लगा रहे हैं। कभी पार्टी दलित पर दावा खेलने की बात सामने आ रही है, तो कहीं ब्राह्मण चेहरों पर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। वही जिले में पार्टी में अपने आपको राजनीति का चाण्क्य मानने वाले नेता अपना—अपना समीकरण नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को समझ रहा है। आपको बता दे कि गाजियाबाद से 28 सितम्बर 2011 को विभाजन होने के बाद तहसील से जिला बने के बाद पार्टी ने जिला संयोजक के पद की जिम्मेदारी मुनेश त्यागी को दी गई। जिसके वैश्य समाज से आने वाले महेश अग्रवाल उनके बाद संजय त्यागी को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। उसके बाद उक्त पद पर ओबीसी समाज गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा क्षेत्र से आने वाले अशोक पाल को पार्टी ने जिलाध्यक्ष बनाकर ओबीसी वर्ग को साधने का प्रयास किया। वही चौथी कार्यकाल में विकास अग्रवाल को जिलाध्यक्ष बनाकर वैश्य समाज को प्रतिनिधित्व दे दिया। पंचवी बार क्षत्रिय समाज से आने वाले उमेश राणा को जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई,और उमेश राणा जो कि विद्यार्थी परिषद से आते थे। जमकर जिले में मेहनत कर पार्टी को हर क्षेत्र हर चुनाव में विजय दिलाई कार्यकाल का समय पूरा होने के बाद कुछ दावेदारों में तेजी पकड़ी और गुरु चेले की जोड़ी ने जिलाध्यक्ष पद पर कब्जा करते हुए फिर एक बार क्षत्रिय समाज से आने वाले नरेश तोमर ने छटी बार कमान सभाली ली। नरेश तोमर का कार्यकाल अपने ही पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते विवादों से भरा रहा, सूत्रों की माने तो कभी लाखों रुपए देकर टिकट देने का आरोप तो कभी जमीन से जुड़े विवादों को लेकर सुर्खियों में रहा। 9 मार्च को जिलाध्यक्ष पद के आवेदन के लिए छोटे से जिले में बड़ा कमाल करते हुए 57 लोगों ने आवेदन कर जिलाध्यक्ष पद की दावेदारी ठोक डाली इसके बाद पार्टी में अपनी—अपनी मजबूत दावेदारी का दावा करते हुए दावेदारों ने श्याम धाम दंड भेद अपनाने लगे और एक दूसरे के कारनामों का चिट्ठा शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचने में कतई देर नहीं लगाई। मंडल अध्यक्ष के चुनाव में गड़बड़ी का मामला हो या फिर गुरुजी से गद्दारी कर पालिका में करोड़ों रुपए का घोटाला करने जैसे आरोप शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचने लगे। कुछ समय पूर्व से स्थानीय नेता दावा कर रहे हैं कि जिले की कमान किसी एससी महिला एवं पुरुष को दी जा सकती है। उस पर भी स्थानीय नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व को इस कदम पर सवाल खड़े कर दिए क्योंकि जिले में पहले से ही करीब पांच महत्वपूर्ण पदों पर बैठे भाजपा के एससी समाज से आने वाले नेताओं को पार्टी ने सम्मान जनक पदों से नवाज रखा है। ऐसे में जिलाध्यक्ष का पद अगर एससी समाज को दिया जाता है तो इस पार्टी को अन्य समाज के लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। सूत्रों की माने तो शीर्ष नेतृत्व के सामने एक और बड़ी समस्या गुटबाजी को भी बढ़ावा देती नजर आ रही है। पार्टी में कार्य करने वाले आम और मेहनती कार्यकर्ताओं की नाराजगी की कहानी नगर पालिका में  हुए चेयरमैन के पद पर चुनाव में नगर पालिका परिषद वाली सीट से हाथ धोना पड़ा था। वैश्य समाज से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद अरूण चन्द्रप्रकाश गोविल जो वैश्य समाज से आते है एवं उनके दोनों प्रतिनिधि भी वैश्य समाज से आते है। वही जिला पंचायत का प्रतिनिधित्व करने वाली रेखा नागर भी ओबीसी समाज से आती है। क्षत्रिय एवं जाट समाज से भी दोनों विधायक आते है। ऐसे में जिले में सैनी और ब्राह्मण समाज के लोग  अपना प्रतिनिधित्व पर टक्टकी लगाए बैठे हैं, कि हमारा भी प्रतिनिधित्व करने वाला नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा दिया जाए। वहीं शीर्ष नेतृत्व द्वारा ब्राह्मण समाज के बेदाग चेहरे की तलाश से शीर्ष नेतृत्व भी परेशान है। किसी पर कमिश्नर द्वारा करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का आरोप एवं मंडल अध्यक्ष के चुनाव में धांधली का आरोप या पूर्व में गढ़ विधानसभा की बात करें तो पूर्व में हुए जिला पंचायत चुनाव लड़ने के नाम पर जमीन बेचकर और चुनाव में सहयोग न करने एवं चुनाव हर वाने जैसे आरोप तत्कालीन विधायक एवं जिले के वरिष्ठ ब्रहाम्ण नेता पर लगे थे। उनका भी विश्लेषण शीर्ष नेतृत्व कर रहा है। ऐसे में पार्टी के 57 दावेदारों में से उन नामों की तलाश की जा रही है, जो बेदाग,जुझारू,कर्मठ पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता है। पार्टी उन पर भरोसा कर उन्हें अहम जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी में गुटबाजी, पार्टी को एक बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी में ईमानदार मेहनती कार्यकर्ताओं का मनोबल लड़खड़ा जाएगा, और पार्टी को इसका खामियाजा आने वाले चुनावों में उठाना पड़ सकता है।