

● सुभारती विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक मोइरांग विजय की स्मृति में कार्यक्रम
● रानी झांसी रेजिमेंट की सदस्य की विरासत को किया सम्मानित
● कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने बताया मोइरांग की ऐतिहासिक भूमिका
● 14 अप्रैल को असली स्वतंत्रता दिवस मानने की रखी गई बात
मेरठ,गाजियाबाद। मेरठ स्थित स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में सोमवार को मोइरांग दिवस के अवसर पर एक ऐतिहासिक और भावनात्मक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आजाद हिंद फौज की रानी झांसी रेजिमेंट की सदस्य रहीं 98 वर्षीय आशा चौधरी के पुत्र, वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी को सम्मानित किया गया।राष्ट्रीय सैनिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल त्यागी ने विद्यार्थियों को मोइरांग दिवस का ऐतिहासिक महत्व बताते हुए कहा कि मार्च 1944 में आजाद हिंद फौज और जापानी सेना ने मिलकर मणिपुर की मोइरांग घाटी में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त हमला किया था। 14 अप्रैल 1944 को कर्नल शौकत अली मलिक ने मोइरांग कांगला में तिरंगा फहराया, जिसे भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की पहली हार माना जाता है। कर्नल त्यागी ने बताया कि यह झंडा इंफाल से लेकर पेशावर, कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की एकजुटता का प्रतीक बना। उन्होंने कहा कि आजादी बिना खड्ग बिना ढाल नहीं मिली, बल्कि हजारों बलिदानों के बाद भारत स्वतंत्र हुआ। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऐडमन एटली ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत को स्वतंत्रता नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की वजह से मिली थी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. जी.के. थापलियाल, संस्थापक अतुल, और विशिष्ट अतिथि राजन छिब्बर सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि 14 अप्रैल को ही भारत का वास्तविक स्वतंत्रता दिवस माना जाना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में देशभक्ति गीतों और नृत्य प्रस्तुतियों ने माहौल को देशप्रेम से भर दिया और उपस्थित छात्रों, शिक्षकों व गणमान्यजनों को गर्व से भर दिया।